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बुधवार, 26 अगस्त 2015

अविराम विस्तारित

अविराम  ब्लॉग संकलन :  वर्ष  : 4,   अंक  : 07-12, मार्च-अगस्त 2015


।। जनक छंद ।। 

सामग्री :  इस अंक में श्री मुखराम माकड़ ‘माहिर’ के जनक छन्द।



मुखराम माकड़ ‘माहिर’



जनक छन्द
01.
जलता सूरज खोजता
छाया शीतल नीम की
स्वेद भाल का पौंछता
02.
बंचक बढ़ते जा रहे
अजगर हलवा खा रहे
सितम असुर बरपा रहे
03.
डेंगू फैला देश में
प्राण छीनता दीन के
यम मच्छर के वेश में
04.
आज्ञा पालन राम से
सीखो जल से एकता
मुस्काना घनश्याम से
05.
नया साल हो आम-सा
छायाचित्र : अभिशक्ति
पल-पल मधुरस से भरा
शुभद वरद हो धाम-सा
06.
हरा करेगी रेत को
सौर-शक्ति अपनाइये
सींचो अपने खेत को
07.
बादल बरसा रात भर
क्षण-क्षण टपकी टापरी
बच्चा बिलखा रात भर
08.
बगिया सूनी हो गयी
वीणा की वह रागिनी
कुहू-कुहू में खो गयी
09.
ताजमहल सोता नहीं
प्रेमी जोड़ा सो रहा
मौन कभी खोता नहीं
10.
रातों की यह कालिमा
ढूँढ़ रही है चाँद को
कलम भरेगी लालिमा

  • विश्वकर्मा विद्यानिकेतन, रावतसर, जिला- हनुमानगढ़-335524 (राज.) / मोबाइल : 09785206528

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