आपका परिचय

शुक्रवार, 21 अक्तूबर 2011

अविराम विस्तारित


।।सामग्री ।।
अविराम विस्तारित  :  डॉ. भावना कुँअर व राधेश्याम के हाइकु

।।हाइकू।।

डॉ. भावना कुँअर






दस हाइकु 
1.
तेज थी आँधी
टूटा गुलमोहर
सपनों जैसा।
2.
खेत है वधू
सरसों हैं गहने
स्वर्ण के जैसे ।
3.
चीं- चीं करती
चिड़ियों  की ये बोली
लगे है भोली।
4.
खिड़की पर
है भोर की किरण
नृ़त्यागंना -सी ।
5.
दृश्य छाया चित्र : रोहित कम्बोज 
थकी थकान
बर्फ़ीली आग में भी
चाँदनी जली।
6.
प्यासा सागर
सर्द हुआ सूरज
चाँद झुलसा ।
7.
नदियॉ गातीं
लहरों के साथ में
रास रचातीं।
8.
सोच रही थी
चिलचिलाती धूप
कहॉं मैं जाऊँ?
9.
लेटी थी धूप
सागर तट पर
प्यास बुझाने।
10.
सीप से मोती
जैसे  झाँक रहा हो
नभ में चॉंद।
  • सिडनी, आस्ट्रेलिया (ई मेल: bhawnak2002@gmail.com )


राधेश्याम





चार  हाइकु
1.
रात अकेली
गिनती रही तारे
पिया न आये
2.
दृश्य छाया चित्र : डॉ. उमेश महादोषी
झुरमुट से
झांक रहा चन्द्रमा
तू घूंघट से
3.
नभ से गिरा
खजूर में अटका
भाग्य का खेल
4.
चांदनी रात
वह करे न बात
मैं सकुचात
  • 184/2, शील कुंज, आई.आई.टी. कैम्पस, रुड़की-247667, जिला- हरिद्वार (उत्तराखण्ड)

2 टिप्‍पणियां:

  1. 'अविराम' का अक्टूबर 2011 अंक अभी-अभी मिला है। पत्रिका को इतना सुनियोजित ढंग से संपादित कर रहे हो कि गर्व महसूस होता है। इतनी विविधता और स्तरीयता का निर्वाह ही नहीं, संकलन व प्रस्तुति भी आसान काम नहीं है। इस अंक में प्रयुक्त सभी चित्र व रेखांकन आकर्षक हैं। मैं समझता हूँ कि 'अविराम' को इस समय हिन्दी की उच्च-स्तरीय गैर-व्यावसायिक साहित्यिक पत्रिकाओं में गिना जाना चाहिए।

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  2. भावना जी के हाइकु वास्तव में बेजोड़ होते हैं । किसी भी हाइकु को पढ़कर आँखों के आगे एक दृश्य उतर आता है। इस तरह की रचनाएँ रचनाकार का तो गौरव बढ़ाती ही हैं , साहित्य को भी नई दिशा देती हैं । हार्दिक बधाई !

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